
सोयाबीन बाजार विश्लेषण – वर्तमान हालात और भविष्य की दिशा
किसान साथियों और व्यापारी भाइयों,
सोयाबीन का बाजार इन दिनों भारी दबाव में है। हालात ऐसे हैं कि न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) तक भी मिलना मुश्किल हो गया है। बाजार को उबारने के लिए किसी मजबूत ट्रिगर की जरूरत है, लेकिन फिलहाल ऐसा कोई संकेत नहीं मिल रहा।
हालिया घटनाक्रम में भारत-पाकिस्तान युद्ध की समाप्ति के बाद कांडला और मुंद्रा जैसे प्रमुख बंदरगाहों पर गतिविधियाँ फिर से शुरू हो गई हैं, जिससे आपूर्ति व्यवस्था सामान्य हो गई है। इस कारण खाद्य तेल बाजार भी स्थिर हो गया है और अब सप्लाई चेन में किसी रुकावट की संभावना नहीं रह गई है।
🔹 नाफेड का रुख बाजार को सपोर्ट दे रहा है
- 14 मई को नाफेड द्वारा आयोजित टेंडर में सभी बिड्स को रिजेक्ट कर दिया गया।
- अभी भी नाफेड के पास लगभग 15 लाख टन स्टॉक है, लेकिन सरकार कम भाव पर बेचने को तैयार नहीं।
- जब तक तेल की कीमतों में बड़ा उछाल नहीं आता, नाफेड कम बोली स्वीकार करने के मूड में नहीं है।
🔹 रकबे में गिरावट की आशंका
- दो साल से किसानों को नुकसान झेलना पड़ा है, जिससे अब बुआई में रुचि कम हो रही है।
- मध्य प्रदेश में मक्का की ओर रुझान बढ़ा है।
- USDA के अनुसार, अमेरिका में भी सोयाबीन का रकबा घटकर 82.7 मिलियन एकड़ रह सकता है (86 मिलियन से कम)।
- भारत में भी ऐसी ही प्रवृत्ति दिख रही है।
🔹 विदेशी बाजारों की स्थिति
- CBOT पर सोया तेल वायदा गिरकर 48.79 सेंट/पाउंड और सोयाबीन $10.51-1/4/बुशल पर बंद।
- अमेरिकी जैव ईंधन नीति को लेकर अनिश्चितता बनी हुई है।
🔹 पाम तेल और आयात पर नजर
- मार्च 2025 में पाम तेल आयात 14% बढ़ा (4.24 लाख टन) – रमज़ान से पहले स्टॉकिंग के चलते।
- लेकिन सालाना आधार पर पाम तेल का आयात अन्य तेलों से कम रहा – इसकी कीमत ज्यादा होने के कारण।
🔹 बाजार की वर्तमान चाल
- कीर्ति प्लांट पर सोयाबीन ₹4550 के आसपास।
- ₹4500 पर मजबूत सपोर्ट, इसके नीचे गिरावट संभव लेकिन फिलहाल बड़ी गिरावट की संभावना नहीं।
- मंदी के सभी बड़े कारण अब बाजार में झलक चुके हैं, और अब हालात के और बिगड़ने की आशंका नहीं।
✅ निष्कर्ष: क्या आगे तेजी आएगी?
- निकट भविष्य में बड़ी तेजी की संभावना नहीं, लेकिन गिरावट भी थम चुकी दिख रही है।
- नाफेड की रणनीति, पोर्ट्स पर संचालन और रकबा घटने की आशंका बाजार को सपोर्ट दे रही है।
- सोयाबीन में अब धीरे-धीरे सेंटिमेंट बदलने की संभावना है।
- तेजी की उम्मीद मानसून और खरीफ बुआई की तस्वीर साफ होने के बाद बन सकती है।