
मैं आज भी वो पहला अटैक बिल्कुल याद कर सकती हूँ। 2019 की एक शाम थी, ऑफिस से घर आई थी, अचानक सीने में जैसे कोई भारी पत्थर रख दिया हो, साँस ऊपर नहीं आ रही थी, हाथ-पैर ठंडे पड़ गए, लगा अभी मर जाऊँगी। मैं फर्श पर बैठकर रोने लगी। मम्मी-पापा घबरा गए, हॉस्पिटल ले गए, डॉक्टर ने कहा – पैनिक अटैक है, दिल में कुछ नहीं है। उस दिन मुझे पता चला कि ये जो होता है न, ये दिमाग का खेल है, लेकिन इतना खतरनाक लगता है कि सच में लगता है अब बस सब खत्म। उसके बाद 2 साल तक हर हफ्ते-दस दिन में एक अटैक आता था। दवाइयाँ खाईं, काउंसलर से मिली, लेकिन सबसे ज्यादा राहत मुझे इन पाँच तरीकों से मिली जो मैंने खुद पर आजमाए और जो सच में 2 मिनट से भी कम में अटैक को रोक देते हैं। आज मैं तुम्हें वही पाँच सीक्रेट बता रही हूँ।
पहला तरीका – 4-7-8 ब्रीथिंग। जब अटैक शुरू होता है तो सबसे पहले दिमाग को ऑक्सीजन की कमी लगती है, इसी वजह से घबराहट बढ़ती है। मैं जहाँ भी होती हूँ, बस बैठ जाती हूँ या लेट जाती हूँ और ये करती हूँ – नाक से 4 सेकंड तक धीरे-धीरे साँस अंदर लो, 7 सेकंड तक साँस रोककर रखो, फिर मुँह से 8 सेकंड तक पुश्श्श्श्श करके छोड़ो। सिर्फ 4-5 बार करना होता है। पहली बार जब मैंने ट्राई किया था ट्रैफिक में गाड़ी चलाते वक्त, 90 सेकंड में ही दिल की धड़कन नॉर्मल हो गई थी। आज भी मेरे फोन में रिकॉर्डिंग है “4-7-8” नाम से, जैसे ही लगता है कुछ गड़बड़ है, ईयरफोन लगाकर कर लेती हूँ।
दूसरा – 5-4-3-2-1 ग्राउंडिंग। ये सबसे ताकतवर है। जब दिमाग कहता है “अब मरने वाले हैं”, तो उसे प्रूव करो कि अभी जिंदा हो। मैं आँखें बंद करके या खोलकर जोर से खुद से बोलती हूँ – 5 चीजें जो मैं देख सकती हूँ (पंखा, दीवार, पानी की बोतल, कुर्सी, खिड़की), 4 चीजें जो मैं छू सकती हूँ (अपना कपड़ा, फर्श, बाल, मोबाइल), 3 चीजें जो मैं सुन सकती हूँ (कार की आवाज, पड़ोसी का टीवी, अपनी साँस), 2 चीजें जो मैं सूँघ सकती हूँ (अपना परफ्यूम, चाय की खुशबू), 1 चीज जो मैं चख सकती हूँ (मुँह में थोड़ा नमक या चॉकलेट रख लो)। पूरा करने में 60-80 सेकंड लगते हैं और अटैक का पीक टल जाता है। मैंने तो अपनी दीवार पर स्टिकी नोट चिपका रखा है 5-4-3-2-1 लिखकर, ताकि घबराहट में भी याद रहे।
तीसरा – ठंडे पानी का जादू। अटैक आते ही मैं सबसे पहले मुंह पर ठंडा पानी के छींटे मारती हूँ, फिर दोनों कलाइयों को नल के नीचे 30 सेकंड तक रखती हूँ, और अगर हिम्मत हो तो एक ग्लास ठंडा पानी एकदम से पी जाती हूँ। ये वैज्ञानिक तरीका है – ठंडा पानी वेजस नर्व को एक्टिवेट करता है जो दिल की धड़कन तुरंत कम कर देता है। एक बार मेरी सहेली के साथ मेट्रो में अटैक आया था, मैंने बोतल से मुंह पर पानी डाल लिया, लोग देखते रह गए लेकिन 2 मिनट में मैं नॉर्मल थी। अब मेरे बैग में हमेशा छोटी बोतल रहती है।
चौथा – “ये बीत जाएगा” वाला मंत्र। मेरी काउंसलर ने सिखाया था। जैसे ही घबराहट शुरू होती है, मैं अपनी दोनों हथेलियाँ आपस में जोर से रगड़ती हूँ ताकि गर्मी बने, फिर सीने पर रखकर जोर से बोलती हूँ – “ये अटैक है, ये बीत जाएगा, मैं पहले भी निकली हूँ, इस बार भी निकल जाऊँगी।” सिर्फ 20-25 सेकंड में ही बॉडी को मैसेज जाता है कि खतरा नहीं है। मैंने तो अपनी आवाज में रिकॉर्ड कर रखा है फोन में, कभी बहुत तेज अटैक हो तो ईयरफोन लगाकर सुन लेती हूँ। सुनकर लगता है कोई अपना साथ है।
पाँचवाँ – बॉडी डबल फोल्ड। ये सबसे अजीब लगता है लेकिन सबसे तेज काम करता है। जैसे ही लगे अब अटैक आने वाला है, कमर से आगे की तरफ झुको, दोनों हाथ घुटनों पर रखो और सिर नीचे कर लो (जैसे नमाज में सजदा करते हैं वैसा)। 30-40 सेकंड ऐसे ही रहो। इससे ब्लड फ्लो दिमाग से थोड़ा नीचे आ जाता है और घबराहट का पीक टूट जाता है। मैंने पहली बार ऑफिस के वॉशरूम में ट्राई किया था, दरवाजा बंद करके। बाहर लोग इंतजार कर रहे थे, लेकिन मैं 1 मिनट में बाहर निकली तो कोई पता भी नहीं चला कि क्या हुआ था।
इन पाँच तरीकों को मैंने पिछले चार साल में सैकड़ों बार आजमाया है। अब अटैक बहुत कम आते हैं, महीनों में एकाध बार, और जब आते भी हैं तो पहले जैसे 20-30 मिनट तक नहीं रहते, 2 मिनट में कंट्रोल हो जाता है। दवाइयाँ भी अब बिल्कुल बंद हैं।
सबसे जरूरी बात – अटैक आने पर खुद को कोसना मत। मैं पहले सोचती थी “मैं कमजोर हूँ, मुझे ही क्यों होता है”। लेकिन सच ये है कि 10 में से 3 लोग जिंदगी में कम से कम एक पैनिक अटैक जरूर झेलते हैं। ये बीमारी नहीं, बॉडी का अलार्म है। जितना डरोगे, उतना बढ़ेगा। मैंने डर को दोस्त बना लिया, अब जब आता है तो बोलती हूँ “आजा भाई, पता है तुझे 2 मिनट में भगा दूँगी”।
अगर आज तुम भी वही सीने की घुटन, हाथ-पैर ठंडे होना, मरने का डर फील कर रहे हो तो बस याद रखना – तुम अकेले नहीं हो। मेरे जैसे लाखों लोग रोज ये झेलते हैं और जीत जाते हैं। आज से ही ये पाँच तरीके अपने फोन में सेव कर लो, वॉशरूम की दीवार पर लिख लो, जहां भी जगह मिले लिख लो। अगली बार जब अटैक आएगा तो तुम तैयार होगे।
मैं आज खुश हूँ, जिंदगी एंजॉय कर रही हूँ, घूमने जा रही हूँ, सपने पूरे कर रही हूँ। तुम भी कर सकते हो। बस 2 मिनट। सिर्फ 2 मिनट चाहिए तुम्हें अपनी जिंदगी वापस लेने के लिए। हिम्मत मत हारना। मैं हूँ ना तुम्हारे साथ। जब मन करे मैसेज कर देना, मैं जवाब दूँगी। तुम बहुत कीमती हो, और तुम बिल्कुल ठीक हो जाओगे। ढेर सारा प्यार और एक झप्पी। चल, साँस लंबी खींच और मुस्कुरा। सब ठीक होने वाला है।