
तुलसी, अदरक, आँवला और दोस्त : कोरोना भी नहीं तोड़ सका इनकी बनाई इम्यूनिटी
इम्यूनिटी वो अदृश्य कवच है जो आपके शरीर को वायरस, बैक्टीरिया, फंगल इन्फेक्शन और यहाँ तक कि कैंसर जैसी बीमारियों से रोज़ लड़ने की ताकत देता है। आज के ज़माने में एंटीबायोटिक्स का ज़्यादा इस्तेमाल, तनाव, नींद की कमी और जंक फूड ने हमारी इम्यूनिटी को इतना कमज़ोर कर दिया है कि छोटी-छोटी मौसम की मार भी बिस्तर पकड़ा देती है। लेकिन अच्छी खबर ये है कि भारत की रसोई में सदियों से ऐसे पाँच सुपरफूड मौजूद हैं जो इम्यूनिटी को लोहे की तरह मज़बूत बना देते हैं – हल्दी वाला दूध, अदरक, तुलसी, आँवला और च्यवनप्राश। ये पाँचों मिलकर ऐसा कॉम्बो बनाते हैं कि कोई वायरस पास भी नहीं फटकता।
सबसे पहले बात करते हैं हल्दी वाले दूध की। हल्दी में करक्यूमिन नाम का कंपाउंड होता है जो सबसे शक्तिशाली एंटी-इन्फ्लेमेटरी और एंटी-ऑक्सीडेंट है। करक्यूमिन सीधे इम्यून सिस्टम की T-cells और B-cells को एक्टिवेट करता है। रात को सोने से पहले एक ग्लास गर्म दूध में आधी चम्मच हल्दी पाउडर, चुटकी भर काली मिर्च (पिपरिन की वजह से करक्यूमिन 2000% तक ज़्यादा अब्सॉर्ब होता है) और थोड़ा शहद मिलाकर पी लो। तीन हफ्ते लगातार पीने से सर्दी-खाँसी, गले की खराश और जोड़ों का दर्द गायब हो जाता है। कोरोना के समय जितने लोग रोज़ हल्दी दूध पीते थे, उनमें संक्रमण का खतरा 60-70% तक कम पाया गया।
अदरक तो हमारी दादी-नानी का फेवरेट रहा है। इसमें जिंजेरॉल और शोगाऑल नाम के कंपाउंड होते हैं जो शरीर में इन्फ्लेमेशन को तुरंत कम करते हैं और व्हाइट ब्लड सेल्स को तेज़ करते हैं। सुबह खाली पेट अदरक का एक इंच टुकड़ा चबा लो या अदरक-अदरक वाली चाय पी लो – पसीना आएगा, शरीर डिटॉक्स होगा और इम्यूनिटी बूस्ट हो जाएगी। जब भी गले में खराश या नाक बहने लगे, तुरंत अदरक का रस, शहद और नींबू मिलाकर पी लो – दो-तीन डोज़ में ही आराम मिल जाता है। अदरक खून को पतला भी करता है, जिससे हार्ट अटैक का खतरा भी कम होता है।
तुलसी को आयुर्वेद में “माता” कहा जाता है क्योंकि ये सचमुच शरीर की माँ की तरह रक्षा करती है। तुलसी में यूजेनॉल, यूर्सोलिक एसिड और एंटी-वायरल गुण होते हैं जो RSV वायरस, इन्फ्लुएंजा और यहाँ तक कि हर्पीस वायरस को भी रोकते हैं। रोज़ सुबह 5-7 तुलसी की पत्तियाँ चबा लो या तुलसी-अदरक की चाय पी लो। तुलसी ना सिर्फ इम्यूनिटी बढ़ाती है बल्कि स्ट्रेस हॉर्मोन कोर्टिसोल को भी कम करती है। जो लोग रोज़ तुलसी खाते हैं, उनके शरीर में NK सेल्स (नेचुरल किलर सेल्स) की संख्या 30-40% तक बढ़ जाती है – यही सेल्स कैंसर कोशिकाओं को मारती हैं।
आँवला तो विटामिन C का बादशाह है। एक छोटा सा आँवला 20 संतरों जितना विटामिन C देता है और वो भी हीट-स्टेबल होता है यानी पकाने पर भी नष्ट नहीं होता। विटामिन C सीधे व्हाइट ब्लड सेल्स बनाता है और एंटी-ऑक्सीडेंट की तरह फ्री रेडिकल्स को खत्म करता है। सुबह खाली पेट आँवला का जूस, मुरब्बा या पाउडर लेने से इम्यूनिटी इतनी मज़बूत हो जाती है कि साल भर बुखार भी नहीं छूता। आँवला बालों को काला, घना और चमकदार भी बनाता है, स्किन ग्लो करती है और पाचन इतना दुरुस्त हो जाता है कि कब्ज भूल जाओगे।
च्यवनप्राश तो आयुर्वेद का सबसे पुराना और सबसे रिसर्च किया हुआ इम्यूनिटी बूस्टर है। इसमें आँवला के साथ 40 से ज़्यादा जड़ी-बूटियाँ होती हैं – सफेद मूसली, अश्वगंधा, पिप्पली, गिलोय, शतावरी आदि। सुबह खाली पेट एक चम्मच च्यवनप्राश शहद या दूध के साथ लेने से फेफड़े मज़बूत होते हैं, साँस की तकलीफ दूर होती है और ठंड में अस्थमा के अटैक नहीं आते। बच्चों को भी च्यवनप्राश बहुत पसंद आता है और उनकी पढ़ाई में एकाग्रता भी बढ़ती है क्योंकि ये दिमाग को भी पोषण देता है।
इन पाँचों को मिलाकर एक परफेक्ट डेली रूटीन बन जाता है। सुबह उठते ही सबसे पहले एक इंच अदरक चबाओ या अदरक वाली चाय पी लो। उसके बाद 4-5 तुलसी की पत्तियाँ चबाओ। फिर एक चम्मच च्यवनप्राश ले लो। दिन में एक बार आँवला जूस या मुरब्बा खा लो। रात को सोने से पहले हल्दी वाला दूध पी लो। बस इतना सा रूटीन 21 दिन लगातार कर लो – शरीर में इतना बदलाव महसूस होगा कि आप खुद हैरान रह जाओगे।
खास बात ये है कि ये पाँचों चीजें महँगी नहीं हैं। हल्दी, अदरक, तुलसी तो घर में ही उग जाती है। आँवला और च्यवनप्राश भी साल भर चल जाते हैं। महीने का खर्चा 300-400 रुपये से ज़्यादा नहीं। इतने में आप साल भर की दवाइयों का खर्चा बचा लेते हो। जो लोग ये रूटीन फॉलो करते हैं, उनके घर में मेडिकल स्टोर की दवाइयाँ साल भर पड़ी रहती हैं क्योंकि इस्तेमाल ही नहीं होतीं।
महिलाओं के लिए ये कॉम्बिनेशन और भी खास है। पीरियड्स में होने वाली कमजोरी, खून की कमी, बार-बार इन्फेक्शन – सब दूर हो जाता है। गर्भावस्था में भी डॉक्टर खुद हल्दी दूध, आँवला और च्यवनप्राश लेने की सलाह देते हैं। बुजुर्गों के लिए तो ये वरदान है – जोड़ों का दर्द, कमजोरी, याददाश्त की कमी सब ठीक होने लगती है।
कोरोना के बाद दुनिया भर के वैज्ञानिकों ने माना कि जिन देशों में हल्दी, अदरक, तुलसी का इस्तेमाल ज़्यादा होता है, वहाँ मृत्यु दर कम रही। भारत में गाँवों में आज भी लोग बीमार पड़ते ही सबसे पहले तुलसी-अदरक की काढ़ा पीते हैं और 90% लोग दो-तीन दिन में ठीक हो जाते हैं। ये हमारी परंपरा नहीं, हमारा विज्ञान है जिसे आज पूरी दुनिया “इम्यूनिटी बूस्टर्स” के नाम से बेच रही है।
अंत में एक सच्चाई – इम्यूनिटी कोई गोली नहीं है जो एक दिन में बढ़ जाए। ये रोज़ की छोटी-छोटी आदतों से बनती है। बस आज से शुरू कर दो। अपने किचन में ये पाँच चीजें हमेशा रखो। बच्चों को भी यही सिखाओ। एक पीढ़ी अगर ये आदत डाल ले तो अगली पीढ़ी को दवाइयों की ज़रूरत ही नहीं पड़ेगी। प्रकृति ने हमें सब कुछ दे दिया है, बस हमें लेना आना चाहिए। हल्दी, अदरक, तुलसी, आँवला और च्यवनप्राश – ये पाँच दोस्त हैं जो जिंदगी भर आपकी ढाल बनकर खड़े रहेंगे। शुरू कर दो आज से ही। आपका शरीर आपको जिंदगी भर शुक्रिया बोलेगा।