
हफ्ते में कितनी बार बाल धोने चाहिए? – हर स्कैल्प टाइप और लाइफस्टाइल के हिसाब से पूरा सच
मैं आज ये लेख इसलिए लिख रही हूँ क्योंकि पिछले आठ-दस साल से मेरे पास यही एक सवाल सबसे ज्यादा आता है – “दीदी, हफ्ते में कितनी बार बाल धोने चाहिए?” कोई कहता है रोज़ धोना ज़रूरी है, कोई बोलता है हफ्ते में एक बार से ज्यादा नहीं धोना चाहिए, इंस्टाग्राम पर तो अलग-अलग रील्स दिखा-दिखाकर कन्फ्यूज कर देता है। मैंने खुद अपने बालों पर हर तरह का एक्सपेरिमेंट किया है – कभी रोज़ शैंपू किया तो बाल पुआल हो गए, कभी दस-दस दिन नहीं धोए तो सर में खुजली और बदबू अलग। अब जो कुछ भी पता चला है वो आज तुम सबके साथ शेयर कर रही हूँ, बिल्कुल दिल से लिखा हुआ।
सबसे पहले ये समझ लो कि बाल धोने की सही संख्या का कोई एक जवाब नहीं होता। ये तुम्हारे स्कैल्प टाइप, मौसम, लाइफस्टाइल, पानी की क्वालिटी, यहाँ तक कि तुम क्या खाती हो – सब पर डिपेंड करता है। मैंने अपने दोस्तों, फैमिली, यहाँ तक कि अनजान लड़कियों के ग्रुप में भी सर्वे किया है, तो जो सच सामने आया वो हैरान करने वाला था – 90% लड़कियाँ गलत फ्रीक्वेंसी से बाल धो रही हैं, या तो बहुत ज्यादा या बहुत कम।
चलो शुरू करते हैं सबसे कॉमन टाइप से – ऑयली स्कैल्प। अगर तुम वो इंसान हो जिसके बाल सुबह धोने के बाद शाम तक फिर से चिपचिपे हो जाते हैं, तो तुम्हारा जवाब है हफ्ते में 3 से 4 बार। गर्मी-पसीना-उमस में तो हर दूसरे दिन धोना ही पड़ेगा, वरना पसीने और तेल का मिश्रण फंगल इंफेक्शन बुलावा भेज देता है। मैं खुद पहले ऑयली स्कैल्प वाली थी, रोज़ धोती थी, नतीजा ये हुआ कि स्कैल्प और ज्यादा तेल बनाने लगी। फिर मैंने हर दूसरे दिन शैंपू करना शुरू किया और बाकी दिन सिर्फ ठंडे पानी से अच्छे से rinse करने लगी – दो महीने में ऑयल प्रोडक्शन अपने आप कंट्रोल हो गया।
अब जिनका स्कैल्प नॉर्मल है, मतलब दूसरे-तीसरे दिन हल्का सा ऑयल दिखता है, उनके लिए गोल्डन रूल है हफ्ते में सिर्फ दो बार। हाँ, सिर्फ दो बार। बाकी दिन सिर्फ पानी से धो लो या कंडीशनर से co-wash कर लो। मैं जब से ये फॉलो कर रही हूँ, मेरे बालों की चमक दोगुनी हो गई है। पहले मैं हफ्ते में चार-पांच बार धोती थी क्योंकि “साफ लगने चाहिए” वाला दिमाग था, लेकिन सच ये है कि स्कैल्प का अपना नेचुरल ऑयल ही सबसे अच्छा कंडीशनर होता है। उसे बार-बार छीन लोगे तो बाल रूखे और बेजान हो जाएंगे।
ड्राई और कर्ली बाल वालों के लिए तो मैं दिल से रोती हूँ। वो लोग अगर हफ्ते में दो बार भी धो लें तो बाल रेगिस्तान हो जाते हैं। उनके लिए हफ्ते में एक बार या दस दिन में एक बार शैंपू काफी है। बीच में सिर्फ कंडीशनर से धो लो या एप्पल साइडर विनेगर से rinse कर लो। मेरी एक दोस्त है, उसका 4C कर्ल पैटर्न है, वो तो 15-15 दिन में शैंपू करती है, सिर्फ पानी और कंडीशनर से काम चला लेती है। लोग पूछते हैं “गंदे नहीं लगते?” तो वो हंस के बोलती है “मेरे बालों को गंदा होने में टाइम लगता है भाई!”
डैंड्रफ वालों का केस अलग है। अगर अभी इंफेक्शन चल रहा है तो शुरू के दो-तीन हफ्ते हफ्ते में तीन बार एंटी-फंगल शैंपू (केटोकोनाज़ोल या सैलिसिलिक एसिड वाला) करना पड़ेगा। उसके बाद जैसे ही डैंड्रफ कंट्रोल हो जाए, हफ्ते में एक बार ही करो, बाकी दिन माइल्ड शैंपू या सिर्फ पानी। मैंने खुद छह महीने डैंड्रफ से जंग लड़ी है, जब तक मैंने फ्रीक्वेंसी कम नहीं की, तब तक कुछ नहीं हुआ।
ज्यादा धोने से स्कैल्प और इरिटेट होती थी।
जिम जाने वाले, बाइकर्स, हेलमेट या हिजाब पहनने वालों को तो अलग से ध्यान रखना पड़ता है। पसीना + घुटन = बैक्टीरिया का घर। ऐसे लोगों को वर्कआउट या बाहर से आने के बाद तुरंत पानी से अच्छे से धोना चाहिए, लेकिन शैंपू हफ्ते में तीन बार से ज्यादा नहीं। बाकी दिन सिर्फ पानी काफी है। मेरे भाई को गंजे होने का डर था क्योंकि वो रोज़ हेलमेट में घूमता है और रोज़ शैंपू करता था, मैंने उसे हर दूसरे दिन करवाया तो छह महीने में उसके बेबी हेयर वापस आने लगे।
केमिकल ट्रीटमेंट कराने वालों (कलर, केराटिन, स्मूदनिंग) को तो सबसे सख्त रूल है – पहले एक महीना हफ्ते में एक बार से ज्यादा बिल्कुल नहीं। सल्फेट-फ्री शैंपू ही यूज करो। मेरी सहेली ने केराटिन कराने के बाद पंद्रह दिन तक शैंपू नहीं किया, सिर्फ पानी से rinse करती रही, उसका ट्रीटमेंट आठ महीने तक चला, जबकि नॉर्मली चार-पांच महीने में उड़ जाता है।
प्रेगनेंसी और पोस्ट-पार्टम में तो हार्मोन ऐसे खेलते हैं कि स्कैल्प टाइप ही बदल जाता है। जो पहले ड्राई था वो ऑयली हो जाता है और जो ऑयली था वो और तेज़ ऑयली। ऐसे में अपने बॉडी को सुनो। जितनी बार खुजली हो या चिपचिपापन लगे, उतनी बार धो लो, लेकिन हफ्ते में चार बार से ज्यादा न जाएं।
बच्चों के लिए तो मेरा दिल नहीं मानता हफ्ते में दो बार से ज्यादा धोने को। उनका स्कैल्प अभी इतना सेंसिटिव होता है कि ज्यादा शैंपू करने से एलर्जी हो जाती है। मेरी भतीजी को तो मैं दस दिन में एक बार ही नहलाते वक्त शैंपू करती हूँ, बाकी दिन सिर्फ पानी।
अब सबसे जरूरी बात – ज्यादा धोने से क्या होता है? स्कैल्प का नेचुरल ऑयल चला जाता है, वो और ज्यादा तेल बनाने लगती है (rebound effect), बाल रूखे हो जाते हैं, ब्रेकेज बढ़ जाता है, कलर जल्दी फेड हो जाता है। और कम धोने से क्या होता है? पसीना, धूल, डेड स्किन जमा होकर पोर्स ब्लॉक कर देते हैं, हेयर फॉल बढ़ता है, इंफेक्शन हो जाता है। तो बैलेंस बहुत ज़रूरी है।
मेरा फाइनल रूल जो मैं खुद फॉलो करती हूँ और सबको बताती हूँ – “जब तक सर में खुजली न हो, बाल चिपचिपे न लगें, या बदबू न आए, तब तक शैंपू मत करो।” बस इतना सा। आजकल मैं गर्मी में हफ्ते में तीन बार, सर्दी में दो बार ही धोती हूँ। मेरे बाल पहले से कहीं ज्यादा घने, चमकदार और हेल्दी हैं।
तो अपना स्कैल्प चेक करो, अपनी लाइफस्टाइल देखो, और अपना सही नंबर चुन लो। एक महीना लगातार फॉलो करके देखो, फर्क खुद नज़र आएगा। और हाँ, जब भी कन्फ्यूज हो तो याद रखना – कम धोना हमेशा ज्यादा धोने से बेहतर होता है। अपने बालों को थोड़ा सा नेचुरल ऑयल रहने दो, वो तुम्हारा अपना कंडीशनर है।