मैंने 18 किलो कैसे उतारे बिना जिम जाए और बिना डाइटिंग किए – एक आम आदमी की सच्ची कहानी

मैंने 18 किलो कैसे उतारे बिना जिम जाए और बिना डाइटिंग किए – एक आम आदमी की सच्ची कहानी
मैंने 18 किलो कैसे उतारे बिना जिम जाए और बिना डाइटिंग किए – एक आम आदमी की सच्ची कहानी

मेरी उम्र अभी 34 साल है। दस साल पहले मैं वो लड़का था जो सीढ़ियाँ चढ़ते ही हाँफ जाता था, शर्ट का बटन बंद करने में पसीना छूट जाता था और सुबह उठते ही कमर में दर्द रहता था। आज जब लोग मुझसे पूछते हैं कि “भाई ये बॉडी कैसे बनाई?”, तो मैं हँसते हुए कहता हूँ – “एक दिन में नहीं बनी, एक दिन भी मिस नहीं किया।” ये लेख कोई जिम ट्रेनर या डॉक्टर नहीं लिख रहा, बल्कि एक ऐसा इंसान लिख रहा है जिसने खुद गड्ढे से निकलकर रास्ता बनाया है। तो चलो, बिना किसी दिखावे के सच्ची बात करते हैं।

शुरुआत सबसे मुश्किल होती है। मुझे याद है पहला दिन जब मैं सुबह 5:30 बजे पार्क गया था। सिर्फ़ 10 मिनट दौड़ने की कोशिश की और उल्टी जैसा लगने लगा। लोग हँस रहे थे, कुत्ते भौंक रहे थे, और मैं सोच रहा था कि ये सब छोड़कर घर भाग जाऊँ। लेकिन घर पहुँचकर आईने में अपना पेट देखा और लगा कि अगर आज हार मान ली तो ज़िंदगी भर यही पेट रहेगा। उसी दिन फैसला किया – चाहे जो हो जाए, रोज़ आऊँगा। और सच में, पहले हफ़्ते तो सिर्फ़ 15-20 मिनट टहलना और हल्की स्ट्रेचिंग ही कर पाता था। पर धीरे-धीरे शरीर ने साथ देना शुरू किया।

फिटनेस का सबसे बड़ा झूठ जो लोग बताते हैं वो ये है कि “जिम जाओ, हैवी वेट उठाओ, 6 महीने में सिक्स-पैक बन जाएगा”। अरे भाई, पहले तो साँस ठीक कर लो! मेरा मानना है कि पहले तीन महीने तो सिर्फ़ कार्डियो और बॉडीवेट एक्सरसाइज करो। दौड़ना, स्किपिंग, पुशअप्स, स्क्वाट्स, प्लैंक – बस यही। कोई सप्लीमेंट नहीं, कोई प्रोटीन पाउडर नहीं। सिर्फ़ घर का खाना और मेहनत। मुझे याद है 45 दिन बाद जब पहली बार 5 किलोमीटर बिना रुके दौड़ा तो लगा जैसे कोई मेडल जीत लिया हो। वो खुशी आज तक याद है।

एक बात जो मैंने खुद महसूस की – वजन कम करना 70% खाने से और 30% एक्सरसाइज से होता है। मैंने कभी डाइटिंग नहीं की, बस कुछ नियम बनाए। सुबह नाश्ते में दो पराठे की जगह दो उबले अंडे + एक सेब। दोपहर में रोटी-सब्ज़ी-दाल वही रखी पर घी हटा दिया। रात का खाना 8 बजे से पहले और हल्का। चाय में चीनी छोड़ दी। बस। कोई केटो, कोई इंटरमिटेंट फास्टिंग नहीं। फिर भी 6 महीने में 18 किलो वजन कम हुआ। लोग पूछते थे “क्या खाते हो?” तो मैं हँसकर कहता था – “वही जो माँ बनाती है, बस थोड़ा कम और थोड़ा जल्दी।”

जिम जाना मैंने 8वें महीने में शुरू किया। उससे पहले घर पर ही डंबल और रस्सी से काम चला लिया। जिम में सबसे पहला सबक मिला – अहंकार मत करो। मैंने पहले दिन 50 किलो बेंच प्रेस लगाने की कोशिश की और कमर में झटका लग गया। 15 दिन बिस्तर पर पड़ा रहा। तब समझ आया कि फॉर्म सबसे ज़रूरी है, वजन नहीं। आज भी मैं अपने ट्रेनर को भगवान मानता हूँ क्योंकि उसने मुझे सिखाया कि धीरे चलो, लेकिन रोज़ चलो।

महिलाओं के लिए खास बात कहना चाहता हूँ। मेरी पत्नी भी मेरे साथ फिटनेस जर्नी में शामिल हुई। पहले वो शर्मा जाती थीं कि “लोग क्या कहेंगे, लड़कियाँ जिम में वेट नहीं उठातीं”। मैंने कहा – “तुम अपनी ताकत के लिए उठाओगी, किसी के दिखाने के लिए नहीं”। आज वो 50 किलो डेडलिफ्ट मारती हैं और घर में सबसे ज़्यादा तारीफ़ उनकी होती है। फिटनेस लिंग नहीं देखती, बस लगन देखती है।

उम्र कोई बहाना नहीं है। हमारे मोहल्ले में 58 साल के अंकल हैं, रोज़ सुबह 5 किलोमीटर दौड़ते हैं। डॉक्टर ने कहा था शुगर कंट्रोल नहीं होगी तो इंसुलिन लगेगा। आज 5 साल हो गए, दवाई भी कम हो गई। दूसरी तरफ़ 22 साल का लड़का है जो रोज़ जिम जाता है पर रात में बिरयानी और कोल्ड ड्रिंक पीता है – उसका पेट अभी भी बाहर ही है। तो उम्र मायने नहीं रखती, अनुशासन रखता है।

सर्दियों में सुबह उठना मुश्किल लगता है, बारिश में जिम जाने का मन नहीं करता – ये सब मैंने भी झेला है। मेरा फंडा है – “5 मिनट का नियम”। बस बिस्तर से उठो, जूते पहन लो, दरवाज़ा खोल लो। बाकी खुद-ब-खुद हो जाएगा। 90% दिन तो यही 5 मिनट सबसे मुश्किल होते हैं, बाकी आसान।

फिटनेस ने मुझे सिर्फ़ बॉडी नहीं दी, आत्मविश्वास दिया। पहले मैं फोटो खिंचवाने से भागता था, आज ग्रुप फोटो में सबसे आगे खड़ा होता हूँ। पहले सीढ़ियाँ चढ़ने में डर लगता था, आज 15वीं मंज़िल तक दौड़कर चला जाता हूँ। पहले बीमार रहता था, अब साल में एक बार भी बुखार नहीं आता। और सबसे ज़रूरी – अब मेरे बच्चे मुझे देखकर कहते हैं, “पापा तुम सुपरहीरो जैसे हो”। ये वाली फीलिंग किसी भी सिक्स-पैक से ज़्यादा कीमती है।

अंत में यही कहूँगा – परफेक्ट बॉडी का इंतज़ार मत करो, आज से शुरू कर दो। चाहे 5 मिनट टहलना हो, 10 पुशअप्स हों या सिर्फ़ चाय में चीनी छोड़ना हो। छोटे-छोटे कदम ही बड़े रास्ते बनाते हैं। मैं कोई फिटनेस गुरु नहीं हूँ, बस एक आम इंसान हूँ जिसने अपने लिए कुछ अच्छा किया और खुश है। तुम भी कर सकते हो। बस आज से शुरू कर दो।

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