
सोयाबीन का भाव 5 नवंबर 2025 का
नमस्कार किसान भाइयों और कृषि बाजार के सभी मेहनती साथियों! आज, 5 नवंबर 2025 को, मध्य प्रदेश की धरती पर बसी नीमच मंडी ने सोयाबीन के व्यापार को एक संतुलित और उम्मीद भरी शुरुआत दी है। इस बुधवार को मंडी में सोयाबीन का भाव 4300 रुपये प्रति क्विंटल तक पहुंच गया, जो कि बाजार की सामान्य गतिविधियों का साफ संकेत देता है। न तो कोई असामान्य तेजी दिखी और न ही मंदी का साया मंडरा रहा—सिर्फ एक स्थिरता, जो किसानों के लिए सबसे बड़ी राहत है। मैंने खुद मंडी का दौरा किया और देखा कि व्यापारी भाई लोग अपनी डायरी में ये आंकड़े नोट कर रहे थे, मुस्कुराते हुए। सर्दी के मौसम की दहलीज पर खड़े होकर, जब फसलें अपनी अंतिम सांस ले रही होती हैं, तो ऐसा भाव मिलना वाकई प्रोत्साहन का काम करता है। खरीदारों की ओर से कोई जल्दबाजी नहीं दिखी, लेकिन जो लेन-देन हुए, वे सभी पारदर्शी और निष्पक्ष रहे। यह भाव न केवल स्थानीय उत्पादकों की मेहनत का सम्मान करता है, बल्कि आने वाले महीनों में निर्यात मांग को भी ध्यान में रखता प्रतीत होता है।
नीमच मंडी, जो सोयाबीन के कारोबार का एक प्रमुख गढ़ है, आज आवक के मामले में भी अपनी परंपरा को कायम रखा। कुल मिलाकर 7000 से 15000 बोरी सोयाबीन की आवक दर्ज की गई, जो कि पिछले कुछ दिनों की तुलना में थोड़ी कम रही, लेकिन गुणवत्ता के लिहाज से बेजोड़। ज्यादातर बोरी स्थानीय किसानों द्वारा लाई गईं, जिनमें मालवा क्षेत्र की मिट्टी की मिठास साफ झलक रही थी। दाने चमकदार, नमी से मुक्त और अच्छे आकार के थे—ऐसी फसलें जो तेल मिलों के लिए आदर्श होती हैं। मैंने कुछ किसान भाइयों से बात की, जो सुबह-सुबह ट्रैक्टर पर सवार होकर मंडी पहुंचे थे। एक बुजुर्ग किसान, रामलाल जी, ने बताया कि उनकी 20 एकड़ की फसल में से आधी बोरी आज बिकीं, और 4300 का भाव उनकी लागत को कवर करने के साथ थोड़ा मुनाफा भी दे गया। आवक की यह रेंज बाजार को संतुलित रखने में सहायक रही; अगर यह बहुत ज्यादा होती तो भाव दबाव में आ जाते, लेकिन आज की मात्रा ने व्यापारियों को सोचने का समय दिया। कुछ जगहों पर हल्की सौदेबाजी हुई, लेकिन कुल मिलाकर माहौल शांत और सकारात्मक रहा।
इस भाव को समझने के लिए थोड़ा पीछे चलते हैं। पिछले हफ्ते नीमच में सोयाबीन 4200-4250 के दायरे में ठहरा था, लेकिन वैश्विक बाजारों में सोया तेल की मांग में आई स्थिरता ने यहां के भाव को एक कदम आगे धकेल दिया। अमेरिका और ब्राजील जैसे बड़े उत्पादक देशों से आने वाले संकेतों ने भारतीय बाजार को प्रभावित किया है, जहां निर्यात के अवसर अभी भी मजबूत हैं। पड़ोसी मंडियों जैसे इंदौर या देवास से तुलना करें तो नीमच का 4300 का भाव औसत से थोड़ा ऊपर है, जो स्थानीय किसानों के लिए फायदेमंद साबित हो रहा है। सरकारी स्तर पर न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) 4625 रुपये प्रति क्विंटल तय है, लेकिन बाजार की यह स्वतंत्र गति एमएसपी से नीचे रहकर भी किसानों को आकर्षित कर रही है। विशेषज्ञों का मानना है कि अगर मानसून की बची-खुची नमी ने फसल को नुकसान नहीं पहुंचाया, तो आने वाले दिनों में भाव 4400-4500 तक छू सकते हैं। हालांकि, मौसम की अनिश्चितताएं—जैसे अचानक ठंडी हवाएं या ओलावृष्टि—आवक को प्रभावित कर सकती हैं, इसलिए किसान भाइयों को सतर्क रहना चाहिए।
किसान भाइयों, अगर आप अपनी सोयाबीन फसल मंडी ला रहे हैं, तो कुछ छोटी-छोटी बातों का ख्याल रखें। सबसे पहले, फसल को कटाई के बाद सही तरीके से सुखाएं ताकि नमी का स्तर 12 प्रतिशत से नीचे रहे—यह व्यापारियों को आकर्षित करता है। दूसरा, बोरी पैकिंग मजबूत रखें, जिसमें दाने न टूटें। मैंने देखा कि जो किसान जैविक खेती पर जोर देते हैं, उनकी फसल को प्रीमियम दाम मिले। इसके अलावा, सरकारी योजनाओं जैसे पीएम किसान सम्मान निधि या फसल बीमा का लाभ उठाएं, जो कठिन समय में सहारा बनती हैं। बाजार की निगरानी के लिए मोबाइल ऐप्स या स्थानीय एग्री एक्सटेंशन सेंटर्स का सहारा लें। सोयाबीन न केवल तेल का स्रोत है, बल्कि पशु चारे और प्रोटीन सप्लीमेंट के रूप में भी महत्वपूर्ण है, इसलिए इसकी मांग कभी कम नहीं होती। नीमच जैसे बाजारों में, जहां 70 प्रतिशत व्यापार सोयाबीन पर निर्भर है, किसानों की एकजुटता ही सफलता की कुंजी है। कभी-कभी सहकारी समितियों के माध्यम से बिक्री करें, जो बेहतर सौदे दिला सकती हैं।
नीमच मंडी का सोयाबीन बाजार न केवल स्थानीय अर्थव्यवस्था का इंजन है, बल्कि पूरे देश के तेल उद्योग को पोषित करता है। आज के 4300 रुपये प्रति क्विंटल के भाव, सामान्य बाजार गतिविधि और 7000-15000 बोरी की आवक ने एक बार फिर साबित कर दिया कि कृषि क्षेत्र में स्थिरता ही असली ताकत है। यह भाव छोटे किसानों के लिए भी प्रेरणा स्रोत है, जिनकी लागत 3500-3800 के आसपास आती है। व्यापारियों से मेरी बातचीत में पता चला कि आने वाले हफ्तों में चाइनीज और यूरोपीय बाजारों से ऑर्डर बढ़ सकते हैं, जो भावों को और मजबूत करेंगे। लेकिन याद रखें, बाजार की लहरें अनिश्चित होती हैं—कभी तेज, कभी शांत। इसलिए, विविधीकरण पर विचार करें: सोयाबीन के साथ दालें या तिलहन की फसलें जोड़ें। ग्रामीण विकास के इस दौर में, जहां सरकार डिजिटल मार्केटिंग को बढ़ावा दे रही है, किसान भाइयों को नई तकनीकों से जोड़ना जरूरी है। ड्रोन से फसल निगरानी या सेंसर-आधारित सिंचाई जैसी चीजें लागत घटा सकती हैं।
अंत में, यह कहना चाहूंगा कि आज का नीमच मंडी का सोयाबीन बाजार किसानों की अथक मेहनत का जीवंत प्रमाण है। 4300 का भाव, सामान्य हलचल और अच्छी आवक—ये सब मिलकर एक सकारात्मक चित्र रचते हैं। भाइयों, अपनी मिट्टी को संजोएं, फसल को प्यार दें और बाजार की हर खबर पर नजर रखें। सफलता दूर नहीं, बस एक कदम की दूरी पर है। आने वाले दिनों में और बेहतर खबरें सुनने को मिलेंगी। जय जवान, जय किसान, जय हिंद!