
नमस्कार किसान भाइयों और कृषि बाजार के सभी सजग साथियों! आज, 5 नवंबर 2025 को, मध्य प्रदेश की हृदय स्थली में बसी नीमच मंडी ने गेहूं व्यापारियों और उत्पादकों को एक नई उम्मीद की किरण दिखाई है। इस बुधवार को मंडी खुलते ही गेहूं का भाव बढ़िया 2795 रुपये प्रति कुंतल तक पहुंच गया, जो कि पिछली ट्रेडिंग की तुलना में 20 रुपये की सकारात्मक तेजी का संकेत देता है। यह तेजी न केवल मौसम की अनुकूलता का परिणाम है, बल्कि रबी फसल की मजबूत गुणवत्ता और निरंतर मांग का भी प्रमाण है। सर्दी की दस्तक के साथ ही आटा मिलों और निर्यातकों की ओर से आने वाले ऑर्डर ने बाजार को गति प्रदान की है, जिससे किसान भाइयों के चेहरे पर संतोष की लाली छा गई।
नीमच मंडी, जो गेहूं के कारोबार का एक प्रमुख केंद्र बनी हुई है, आज आवक के मामले में भी कोई कमी नहीं दिखा रही। कुल मिलाकर 25,000 बोरी गेहूं की आवक दर्ज की गई, जिसमें ज्यादातर स्थानीय खेतों से ताजी कटाई की फसलें शामिल थीं। ये बोरी न केवल मात्रा में भरपूर थीं, बल्कि उनकी गुणवत्ता भी लाजवाब रही—चमकदार दाने, अच्छा वजन और कम नमी वाली किस्में व्यापारियों को खूब भा रही थीं। आवक की यह मात्रा संतुलित रही, जिसने भावों को गिरने से बचाया और छोटे किसानों को भी अच्छे दाम पाने का अवसर दिया। कई किसानों ने साझा किया कि सरकारी गोदामों की ओर से आ रही खरीद ने भी बाजार को मजबूती दी है, हालांकि निजी व्यापारियों की भागीदारी आज सबसे ज्यादा रही।
इस भाव को और गहराई से समझें तो पिछले सप्ताह नीमच में गेहूं 2770-2780 के दायरे में ठहरा था, लेकिन वैश्विक बाजारों में गेहूं की कीमतों में आई हल्की उछाल ने यहां के भाव को धक्का दिया। पड़ोसी मंडियों जैसे इंदौर या उज्जैन से तुलना करें तो नीमच का 2795 का भाव थोड़ा बेहतर नजर आ रहा है, जो स्थानीय उत्पादकों के लिए राहत की सांस है। किसान भाइयों, अगर आप अपनी फसल मंडी ला रहे हैं, तो हमेशा साफ-सुथरी पैकिंग और सही नमी स्तर पर ध्यान दें—यह छोटी-छोटी बातें ही ज्यादा दाम दिलाती हैं। साथ ही, न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की जानकारी रखें, जो आज 2275 रुपये प्रति कुंतल है, लेकिन बाजार की यह तेजी एमएसपी से कहीं आगे ले जा रही है।
कुल मिलाकर, आज का नीमच मंडी का गेहूं बाजार एक जीवंत उदाहरण है कि मेहनत और सही समय पर कार्रवाई कैसे फल देती है। 2795 रुपये का भाव, 20 रुपये की तेजी और 25,000 बोरी की आवक—ये आंकड़े सिर्फ संख्याएं नहीं, बल्कि ग्रामीण भारत की प्रगति की कहानी हैं। किसान भाइयों, अपनी जुताई जारी रखें, मौसम की चुनौतियों का सामना करें और बाजार की नजर रखें। आने वाले दिनों में और बेहतर संभावनाएं इंतजार कर रही हैं। जय जवान, जय किसान!